उत्तराखंड की बेटी मीनाक्षी ने अल्ट्रा मैराथन में जीता गोल्ड

पिथौरागढ। अल्ट्रा मैराथन में प्रथम रही उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के थलीगांव निवासी बेटी मीनाक्षी नेगी ने कहा मैं तो सात हजार फीट की ऊंचाई पर दौड़ती हूं पहली बार लगभग 15 हजार फीट की ऊंचाई पर दौड़ी हूं। जो बहुत कठिन था लेकिन बहुत आंनददायक था। यहां पर दौड़ का आनंद था तो दूसरी तरफ आस्था थी । सामने महादेव का धाम था। दौड़ बहुत कठिन थी। वह 120 किमी की दौड़ दौड़ती है परंतु इस ऊचाई पर दौड़ना बहुत बड़ी चुनौती थी। दौड़ का अभ्यास करने वाली मीनाक्षी अभी उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही है और दौड़ का अभ्यास करती है। दूसरे स्थान पर रही हिमांचल प्रदेश की तेंजिंग डोल्मा का कहना था कि आदि कैलास में आयोजित अल्ट्रा मैराथन एक अलग तरह की अनुभूति है। वह गत वर्ष लददाख सिल्क रूट प्रतियोगिता में 120 किमी की विजेता रही है। वह बताती है कि वह 70,80 ओर सौ मीटर की धावक हैं। दो बार भारत की तरफ से प्रतिनिधित्व कर चुकी है। एशियन चैपियनशिप में इस बार भारत की तरफ से प्रतिनिधित्व करने वाली हैं। उन्होंने कहा कि अल्ट्रा मैराथन में बहुत आनंद आया। यह रूट बेहद दुष्कर है। अल्ट्रा मैराथन की 60 किमी की दौड़ में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों ने कहा कि यह रूट देश का सबसे टफ और रामांचक है। ठंड इस कदर रही कि 15 किमी दौड़ने तक भी शरीर वार्मअप नहीं हुआ। पिथौरागढ़ के धावक जितेश कुमार और चमोली के दिगंबर का कहना था कि आदि कैलास में अल्ट्रा मैराथन दौड़ में प्रतिभाग करना अपने आप में एक अलग अनुभव था। इससे अधिक टफ और कोई दौड़ नहीं हो सकती है। दस किमी दौड में भाग लेने वाले एक धावक का कहना था कि 12 नवंबर को उनके 60 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। इस ऊंचाई पर वह दस किमी दौड़े हैँ ओर किसी तरह की परेशानी नहीं हुई । इसे वह अपने साठवीं वर्षगांठ का उपहार बताते हैं।
