आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल जारी: आशाओं की एक ही मांग है, पक्की नौकरी, पूरा वेतन और सामाजिक सम्मान

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काशीपुर। दो अगस्त से शुरू हुई आशा वर्करों की अनिश्चितकालीन हड़ताल आज भी जारी रही। उन्होंने कहा कि जब तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, न्यूनतम वेतनमान 21 हजार करने समेत बाहर सूत्रीय मांगें पूरी नहीं होती हैं तब तक आंदोलन जारी रहेगा। आंदोलन ऐक्टू से संब( उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले चल रहा है। यूनियन का कहना है कि आशा वर्कर्स के आंदोलन से बौखलाकर सरकार आशाओं की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है। आशाओं की एक ही मांग है, पक्की नौकरी, पूरा वेतन और सामाजिक सम्मान। इसके
लिए हर स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम
गर्मी-जाड़ा-बरसात, हर मौसम में अपनी सुरक्षा की परवाह किये बिना सभी सरकारी योजनाओं को पालन करना सुनिश्चित कर रहे हैं। कोरोना के समय जब सब लोग घरों में कैद थे तब आशाओं ने उनकी बढ़चढ़ कर मदद की। होना तो यह चाहिए था कि आशाओं को इसका श्रेय देते हुए मासिक वेतन दिया जाना चाहिए था लेकिन इसके बजाय सरकार की उदासीनता और गलत नीतियों के चलते आशाओं को.हड़ताल पर जाने के लिए मजबूरन विवश होना पड़ा। आशा नेताओं ने कहा कि महिला
विरोधी सरकार है। लेकिन आशाओं का शोषण अब नहीं चलेगा, आशा वर्कर्स एकजुट होकर संघर्ष के बल पर अपना अधिकार हासिल करके रहेंगी। इस अवसर पर यूनियन अध्यक्षा स्नेहता लता चौहान, उमा चौहान, मधु शर्मा, उषा प्रजापति, द्रोपदी, गुड्डन, सोनी शर्मा, सुधा शर्मा, सोनिया, चित्रा चौहान, कुसुमपाल व कमलेश सैनी आदि तमाम आशा वर्कर्स थीं।

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