गोरखपुर के अंत्योदय कार्ड धारकों को अब आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा। घर के पास कोटे की दुकानों पर ही उनका आयुष्मान कार्ड बनेगा। इसके लिए वीएलई को अधिकृत किया है।
जिले के करीब 250 विलेज लेवल इंटरप्रेन्योर (वीएलई) को कोटे की दुकान पर बैठ कर ही आयुष्मान कार्ड बनाना होगा। एनेक्सी सभागार में इसको लेकर गुरुवार को बैठक हुई। बैठक में डीएम विजय किरण आनंद और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने विस्तृत जानकारी दी। जिले के 1.28 लाख अन्त्योदय कार्डधारकों के करीब 4.83 लाख सदस्यों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा गया है।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि करीब 1.28 लाख अन्त्योदय परिवार योजना से जुड़े हैं जिनके 4.83 लाख सदस्यों के सापेक्ष 78,325 आयुष्मान कार्ड भी बने हैं। ज्यादा से ज्यादा लाभार्थियों के पास कार्ड उपलब्ध हो सके, इसमें वीएलई की अहम भूमिका होती है। बैठक में स्पष्ट किया गया कि जो वीएलई अपेक्षित कार्ड नहीं बनाएंगे उनका लाइसेंस भी रद्द किए जा सकते हैं। राशन कार्ड वितरण के साथ ही सभी लोगों का आयुष्मान कार्ड बनाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि एक वीएलई तीन से चार अलग-अलग गांवों को देखता है। कोटे की दुकान से वह पात्र लाभार्थियों का पंजीकरण करता है तो अन्त्योदय कार्ड धारकों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिल सकेगा। योजना के तहत लाभार्थी परिवार को संबद्ध अस्पताल में पांच लाख रुपये तक के निःशुल्क इलाज की सुविधा दी जाती है। पहले से कार्ड होने से लाभार्थी का आसानी से वेरिफिकेशन हो जाता है। वह देश के किसी भी संबद्ध अस्पताल से इलाज करवा सकता है। डॉ. सिंह ने बताया कि जिले में 28 सरकारी और 78 निजी अस्पताल योजना के तहत सेवा प्रदान कर रहे हैं। करीब 47500 लोगों को योजना के तहत मुफ्त इलाज लाभ मिला है। बैठक में योजना की जिला समन्वयक डॉ. संचिता मल्ल, जिला शिकायत प्रबंधक विनय पांडेय और जिला सूचना तंत्र प्रबंधक शशांक शेखर मौजूद रहे।