काशीपुर। चेक बाउंस के एक मुकदमे में तलबी आदेश के खिलाफ दायर निगरानी याचिका प्रथम एडीजे की अदालत ने खारिज कर दी। चैती मोड़ निवासी शीतल सैनी काशीपुर अर्बन कोआपरेटिव बैंक में कार्यरत हैं। इसी बैंक में आवास-विकास कालौनी निवासी महेश गिरी अभिकर्ता हैं। शीतल ने अपने अधिवक्ता अमरीश अग्रवाल के माध्यम से एसीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया था कि महेश ने परिवादी शीतल से 7.30 लाख रूपये उधार लिए थे। भुगतान की एवज में उसने इस राशि का एक्सिस बैंक का चेक दिया था। 27 मई, 2020 को उसने यह चेक अपने खाते में लगाया तो चेक हस्ताक्षर भिन्न होने की टिप्पणी के साथ वापस लौटा दिया गया। अदालत ने आरोपी महेश को एनआई एक्ट का दोषी मानते हुए तलबी आदेश जारी किया था। निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ महेश की ओर से प्रथम एडीजे की अदालत में निगरानी याचिका प्रस्तुत की गई। इसमें कहा गया कि बैंक में अभिकर्ता होने के नाते उसने वर्ष 2015 में यह चेक बतौर प्रतिभूमि दिया था। अधिवक्ता अमरीश ने कहा कि 2015 में प्रिंटेड चेक जारी नहीं होते थे। चेक हस्ताक्षर भिन्न होने के कारण बाउंस हुआ है। इससे प्रतीत होता है कि महेश ने चेक पर जानबूझकर गलत हस्ताक्षर किए हैं। प्रथम एडीजे सुबीर कुमार ने निगरानी याचिका निरस्त कर अवर न्यायालय के तलबी आदेश को पुष्ट कर दिया।