बिजनौर। जनता बड़ी उम्मीद के साथ अपना जनप्रतिनिधि चुनती है जनप्रतिनिधियों का यह कर्तव्य बनता है कि संसद सत्र के दौरान उपस्थित रह कर जन समस्याओं को उठाएं और राष्ट्र हित में संसद सत्र के दौरान चल रही चर्चाओं में भाग लिया करें
मगर माननीय संसदगण बिना किसी ठोस वजह के संसद सत्र के दौरान अनुपस्थित रहते हैं यह आम जनता के साथ धोखाधड़ी है!
प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए अपने पार्टी के सांसदों को सख्त हिदायत दी है कि संसद सत्र के दौरान सदन में उपस्थित रहें।
राजनीति में बदलाव होता रहता है सत्ता कभी स्थायी नहीं होती है! जनप्रतिनिधियों को अपनी आदतों में बदलाव लाना चाहिए अन्यथा जनता को बदलने में देर नहीं लगती है!
संसद की कार्यवाही का खर्च आम जनता को ही उठाना पड़ता है!देश को संचालित करने वाले नीतिगत फैसले में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी जरूरी है।
सदन के सभी कार्य जनप्रतिनिधियों द्वारा ही संचालित होते हैं इसलिए उन्हें उपस्थित रह कर अपना सकारात्मक सहयोग प्रदान करना और सदन की गरिमा बनाए रखनी चाहिए।