काशीपुर। राज्य स्थापना दिवस की 21वीं वर्षगांठ के मौके पर यहां तहसील के सभागार में आयोजित समारोह के दौरान दर्जनों राज्य आंदोलनकारियों को प्रशासनिक अधिकारियों ने शाॅल उढाकर सम्मानित करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस मौके पर आकर्षक वेशभूषा में सजे स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर लिया। कार्यक्रम के दौरान संयुक्त मजिस्ट्रेट आकांक्षा वर्मा के अलावा तहसीलदार पूनम पंत, नायब नाजिर जाकिर हुसैन, माल मुहर्रिर हरेंद्र कुमार समेत तमाम गणमान्य मौजूद रहे। 21 वर्ष पूर्व आज ही के दिन देश के 27 वें राज्य के तौर पर अस्तित्व में आए उत्तराखंड के राज्य स्थापना दिवस के मौके पर तहसील के सभागार मैं समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रदेशवासियों को दिए संदेश में राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित की गई। इसके बाद गुरु नानक इंटर काॅलेज की छात्राओं ने गिद्दा व भांगड़ा नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति देकर मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर लिया। तदोपरांत आप नेता एवं राज्य आंदोलनकारी दीपक बाली समेत 14 राज्य आंदोलनकारियों को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा माला पहनाकर शाल उढाते हुए उन्हें बाकायदा सम्मानित किया गया। यहां गौरतलब यह भी है कि राज्य आंदोलन के वक्त उत्तराखंड गठन की लड़ाई लड़ते हुए आप नेता दीपक बाली 14 दिनों तक फतेहगढ़ जेल में बंद रहे। उत्तराखंड राज्य के गठन में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। आम आदमी पार्टी की चुनाव कैंपेन कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्य आंदोलनकारी दीपक बाली ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि कितने शर्म की बात है कि राज्य के गठन के 21 वर्ष बीतने के बावजूद उत्तराखंड दुर्दशा का शिकार है और जिन सपनों को सजोकर हमने उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़ी वे सपने आज तक साकार नहीं हो पाए इसलिए आज जरूरत है कि जिस तरह से राज्य निर्माण की लड़ाई लड़ी गई उसी तरह से अब राज्य के नव निर्माण की लड़ाई लडी जाए। प्रदेश के गठन के लिए शहीद हुए आंदोलनकारियों की आत्मा को शांति तभी मिलेगी जब प्रदेश से दंडी और कंडी की व्यवस्था खत्म हो और शहीदों के सपनों का उत्तराखंड बने। पलायन रुके शिक्षा और चिकित्सा सभी को मिले। चिकित्सा के अभाव में कोई दम नहीं तोड़े। प्रदेश का हर गांव सड़क से जुड़े और सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भी रहने वाले पर्वतीय समाज के लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिले। आज भी वह प्रदेश वासियों के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। श्री बाली ने अपना दर्द भी जताया कि राज्य गठन के 21 वर्ष बाद भी उत्तराखंड से पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा। विकास अवरु( हो चुका है। बेरोजगारी का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में प्रदेश की जनता को एक मंच पर आकर अपने हक हकूक के लिए आवाज बुलंद करनी होगी तभी जिन उद्देश्यों को लेकर उत्तराखंड राज्य की स्थापना की गई थी उसका सपना साकार हो सकेगा।