नई दिल्ली। भारत रूस से तेल खरीदने के मामले में नंबर 1 बन गया है। ताजा मार्केट रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर में रूस से तेल खरीदने में भारत टॉप पर है।इस मामले में इराक और सऊदी अरब क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।साल 2019 में 1 प्रतिशत से भी कम तेल भारत ने रूस से खरीदा था, जो कि अब 22 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
इसके ठीक उलट इराक जो वर्षों से शीर्ष आपूर्तिकर्ता रहा है, उसका हिस्सा 20 प्रतिशत और सऊदी अरब का 16 प्रतिशत पहुंच गया है.खबरों के मुताबिक रूस से तेल आयात 24 फरवरी को यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के बाद बढ़ गया है।क्योंकि पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण व्यापारियों ने रूसी बैरल के साथ भारी छूट की पेशकश की।रूसी तेल ने सितंबर में भारत के आयात में पश्चिम एशियाई कच्चे तेल की हिस्सेदारी को 19 महीने के निचले स्तर पर धकेल दिया।इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिफाइनरियों के नियोजित बंद होने के कारण कुल मासिक आयात कम हो गया।वहीं जुलाई और अगस्त में गिरावट के बाद रूसी तेल के आयात में वापसी हुई है, क्योंकि बैरल अभी भी आकर्षक छूट के साथ बने हुए हैं, भले ही वे पहले की तरह ना हों।
साथ ही यूरोपीय संघ द्वारा 5 दिसंबर से रूस पर प्रतिबंध लगाने के बाद से भारतीय रिफाइनरी अच्छे छूट की तलाश में थे।वहीं प्रतिबंधों के बाद से ही अमेरिका समेत यूरोप के कई देशों को इस बात से आपत्ति है कि आखिर भारत, रूस से डिस्काउंट पर तेल क्यों खरीद रहा है.वहीं बीते महीने खबर थी कि यूक्रेन पर आक्रमण के बाद कच्चे तेल के निर्यात को बनाए रखने में मॉस्को की मदद करने वाले तीन देश रूसी बैरल के लिए बाजार में वापस आए थे जिसमें तुर्की अग्रणी भूमिका निभा रहा था, इसमें भारत और चीन भी शामिल थे।अब नई रिपोर्ट ने इस बात पर मुहर लगा दी है।